-प्रेम-
जब तक मैं
प्रेम में था
ताे लिखता रहा
फूल तितली
नदिया बादल
बिंदिया काजल की बातें
अब जबकि
प्रेम...मुझमें है
मैं कुछ नहीं लिखता
मेरे भीतर ही...कलकल..
बहती रहती है..
इक..मीठी सी नदिया..
और मैं...मैं..
महकता रहता हूँ..
प्रेम की खुशबू से..
जब तक मैं
प्रेम में था
ताे लिखता रहा
फूल तितली
नदिया बादल
बिंदिया काजल की बातें
अब जबकि
प्रेम...मुझमें है
मैं कुछ नहीं लिखता
मेरे भीतर ही...कलकल..
बहती रहती है..
इक..मीठी सी नदिया..
और मैं...मैं..
महकता रहता हूँ..
प्रेम की खुशबू से..
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