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Showing posts from July, 2021

-यादों का मौसम-

हल्की हल्की  ओस पड़ी थी..  जब...चाँद से..  बातें करते मुझको.. पकड़ा था तन्हाई ने..

-प्रेम-

जब तक मैं  प्रेम में था ताे लिखता रहा फूल तितली  नदिया बादल बिंदिया काजल की बातें अब जबकि  प्रेम...मुझमें है मैं कुछ नहीं लिखता मेरे भीतर ही...कलकल.. बहती रहती है.. इक..मीठी सी नदिया.. और मैं...मैं.. महकता रहता हूँ.. प्रेम की खुशबू से..

-ज़िंदगी-

गली के माेड़ पर  गुलमाेहर के नीचे बारिश की बूंदाे में खाली पड़े झूलाें में बीती हुई बाताें में रूठी हुई रातों में कभी झराेखे से कभी देहरी पर बावरा सा ढूंढ़ता हूँ ऐ ज़िंदगी तुझे.. -स्वप्न प्रिया
कोरे सफ़हों पर जब भी..  वक़्त..  बरबाद किया है.. ऐ... ज़िंदगी.. मैंने तुम्हें.. याद किया है.. -©️स्वप्न प्रिया

-तेरे ख़्याल में-

 -तेरे ख़्याल में- 1- एक ख़्याल  उगा है अभी अभी..  महकते महकते तुझे..  ख़बर लगेगी..  2- तुझे ख़्वाब में  देखा था रात भर..  आँखें अब तक महक रही हैं... 3- एक ख़्याल  गुम है कहीं.. ख़्वाबों की भीड़ में... 4- याद के शाने पर  करवट...  ले रहा है  इक.. ख़्याल तेरा..

अना

 अना की  धूप खिलखिलाई और.. मोहब्बत के.. कागज़ पर रखा.. दिल जल गया..